पात्रता के मानदण्ड

पात्रता के मानदण्ड क्या हैं?

नाइलिट द्वारा प्रत्यायित पाठ्यक्रम(मों) को आयोजित करने के इच्छुक कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थानों के लिए निम्नलिखित अपेक्षाओं/मानदण्डों को पूरा करना आवश्यक है :

) हैसियत एवं पहचान

  • संस्थान/संगठन को कानून के किसी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत होना चाहिए, उदाहरण के लिए कम्पनी के मामले में इसे कम्पनी पंजीयक के पास पंजीकृत होन चाहिए, संस्था के मामले में इसे संस्था पंजीयक के पास पंजीकृत होना चाहिए, आदि.
  • इसे वित्तीय स्थिरता तथा अपने प्रयोजन के प्रति ईमानदारी का प्रदर्शन करना चाहिए
  • इसी प्रकार के पाठ्यक्रम आयोजित करने का कम से कम दो वर्षों का अनुभव होना चाहिए

) मूलसंरचना – भवन तथा स्थान

  • इसका अपना परिसर होना चाहिए
  • किराए पर लिए गए भवन की स्थिति में, इसे दीर्घकालीन पट्टे के आधार पर होना चाहिए। ऐसे मामलों में पट्टे की अवधि प्रत्येक उस स्तर के लिए निर्दिष्ट है जिसके लिए प्रत्यायन का अनुरोध किया जा रहा है और इसे संबंधित विवरण-पुस्तिका में दर्शाया गया है। 
  • न्यूनतम कार्पेट एरिया 90 वर्ग मीटर से अधिक होना चाहिए जिसमें कम से कम निम्नलिखित उपलब्ध हो :  

             - 25 विद्यार्थयों के बैठने के लिए एक क्लास रूम
             - 15 विद्यार्थयों के बैठने के लिए एक प्रयोगशाला
             - पुस्तकालय
             - स्वागत क्षेत्र, आदि

) मूलसंरचना – उपकरण

  • संस्थान में अद्यतन तकनीकी जानकारी के हार्डवेयर उपलब्ध होने चाहिएं और उन्हें संबंधित नाइलिट पाठ्यक्रम मे प्रशिक्षण के लिए विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। संस्थान को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विद्यार्थियों को विषय की अवधि का कम से कम आधा समय “कार्य के माध्यम से” अनुभव के लिए आबंटित किया जाए। 
  • कम्प्यूटर प्रणालियों की न्यूनतम संख्या संस्था द्वारा प्रशिक्षित किए जा रहे विद्यर्थियों की संख्या के अनुरूप तथा संस्थान की भौगोलिक स्थिति के अनुसार भी होना चाहिए, बशर्ते कम से कम आठ कम्प्यूटर प्रणालियाँ उपलब्ध हों।  
  • एक टर्मिलन या एक पीसी पर दो से अधिक विद्यार्थी काम नहीं करेंगे। 
  • सभी सॉफ्टवेयर बौद्धिक सम्पदा अधिकार में वर्णित शर्तों के अनुसार लाइसेंसशुदा होने चाहिएँ। नाइलिट पाठ्यक्रम(मों) को चलाने के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर संबंधित पाठ्यचर्या में निर्धारित किया गया है।
  • संस्थान में आधुनिक शिक्षण सहायक उपकरण होने चाहिएँ जैसे कि ओवरहेड प्रोजेक्टर या वीडियो प्रोजेक्टर या श्रव्य-दृश्य उपकरण आदि।

) शिक्षक-वर्ग

  • शिक्षक वर्ग में कम से कम तीन स्थायी व्यक्ति होने चाहिएँ जो संस्थान में कम से कम छह महीने से कार्यरत हों। 
  • पूर्णकालिक तथा अंशकालिक (सामान्यीकृत) का अनुपात कम से कम 4:1 होना चाहिए, अर्थात संस्थान के अन्दर प्रत्येक चार पूर्ण कालिक शिक्षकों के लिए संस्थान को एक अंशकालिक शिक्षक नियोजित करने की अनुमति होगी।   
  • विद्यार्थियों की तुलना में पूर्णकालिक + अंशकालिक (सामान्यीकृत) का अनुपात कम से कम 1:25 होना चाहिए, अर्थात 25 विद्यार्थियों के प्रत्येक बैच के लिए संस्थान को एक शिक्षक नियोजित करना होगा, और कम से कम तीन स्थायी व्यक्ति होने चाहिएँ।     
  • सक्षम शिक्षकों के पास संबंधित स्तरों की विवरण पुस्तिका में वर्णित अपेक्षित अर्हता तथा अनुभव (न्यूनतम दो वर्ष) होना चाहिए। शिक्षकों के नाम तथा अनुभव सहित अर्हता प्रत्यायन के आवेदन फार्म में सूचित करना होगा। .

) पुस्तकालय

  • संस्थान में एक पुस्तकालय होना चाहिए।
  • पुस्तकालय में अच्छी पुस्तकों का संग्रह होना चाहिए तथा लोकप्रिय पत्रिकाएँ भी होनी चाहिएं। नाइलिट की पाठ्यचर्या में सूचीबद्ध पुस्तकें भी पुस्तकालय में पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होने चाहिएँ।    
  • नाइलिट की पाठ्यचर्याओं की पर्याप्त संख्या में प्रतियाँ तथा नाइलिट के अन्य प्रकाशन पुस्तकालय में रखे जाएंगे तथा उन्हें सभी संबंधित व्यक्तियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

) आचार संहिता

  • नाइलिट के पाठ्यक्रम(मों) को चलाने के लिए अनुमति प्रदान किए गए संस्थानों को निम्नलिखित आचार संहिताओं का अनुपालन करना होगा :
  • जानबूझकर ऐसा कोई विज्ञापन नहीं जारी किया जाएगा जो संस्थान की योग्यता के बारे में गलत धारणा प्रदर्शित करने के लिए जिम्मेदार हो; 
  • प्रत्यक्ष रूप में अथवा निहितार्थ रूप में उन पहलुओँ/पाठ्यक्रम(मों) के लिए विज्ञापन नहीं जारी किया जाएगा जिसके लिए विशिष्ट अनुमोदन नहीं प्रदान किया गया है। इसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जो विचाराधीन हैं या गतावधिक हो गए हैं या वापस ले लिए गए हैं;
  • अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम(मों), जिनके लिए प्रत्यायन प्रदान किया गया है, की सामग्री के बारे मे कोई अत्युक्ति नहीं की जाएगी; 
  • लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से, प्रत्यक्ष रूप में या अप्रत्यक्ष रूप में विदेशी सहयोग के साथ संबंध का उल्लेख नहीं किया जाएगा, जब तक कि ऐसे संबंध का अविवादित प्रमाण उपलब्ध हो; 
  • विद्यार्थियों को किसी लाभ की गारंटी नहीं दी जाएगी, जो वस्तुतः गलत या संभव नहीं है;
  • प्रतिस्पर्धा में लाभ उठाने के लिए मूल्य संबंधी कोई उल्लेख नहीं किया जाएगा, जो गलत या भ्रामक हैं;. 
  • तिरछे रूप में भी, प्रतिस्पर्धा का अवज्ञा नहीं की जाएगी;
  • रोजगार के संबंध में अपर्याप्त रूप में समर्थित उत्कृष्टता का दावा नहीं किया जाएगा;   
  • अपने लाभ के लिए, सरकार के वक्तव्य को विकृत नहीं किया जाएगा; 
  • समुचित जाँच-पड़ताल के बिना सरकार/प्रोफेशनल निकायों या विशेषज्ञों की कार्रवाई की आलोचना नहीं की जाएगी; 
  • जनता के लिए आपत्तिजनक वक्तव्य नहीं दिए जाएंगे। इसमें ऐसे विज्ञापन शामिल हैं जो “ऑफ-कलर” हैं;
  • किसी अस्पष्ट स्वरूप के वक्तव्य नहीं दिए जाएंगे जिनसे हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर और साथ ही लोप तथा अर्ध सत्य सहित प्रत्यायन योजना के किसी चरण/भाग के लिए गलत चित्र प्रस्तुत होता है;   
  • प्रतिस्पर्धात्मक विज्ञापन नहीं दिया जाएगा;
  • किसी अन्य ऐसे मामले/कार्रवाई में शामिल नहीं होगा जो आचार संबंधी व्यवहारों की भावना के प्रतिकूल हो, जिसमें विद्यार्थियों के साथ/द्वारा व्यवहार; प्रतिलिप्याधिकार प्राप्त सॉफ्टवेयर का अनधिकृत प्रयोग आदि शामिल हैं।

) विद्यार्थियों का दाखिला एवं प्रशासन

  • कम से कम 50% नामांकन गुण के आधार पर होगा। 
  • विद्यार्थियों का प्रशासन उच्च कोटि को होना चाहिए।
  • दाखिला, पंजीकरण, अभिक्षमता परीक्षा तथा चयन के मानदण्डों के अलग रिकार्ड रखे जाएंगे।

) प्रत्यायन फीस

  • 'ओ' स्तर  -  30,000/- रु.
  • 'ए' स्तर  -   30,000/- रु.
  • 'बी' स्तर  -   50,000/- रु.
  • 'सी' स्तर  -  30,000/- रु.

 

गैर-प्रत्यायित वर्ग के संस्थानों हेतु शुल्क संरचना (अप्रतिदेय) नीचे दिया गया है:- 

क्रम संख्या

उद्धेश्य

समय अवधि

प्रोसेसिंग शुल्क

(रु. में.)*

1

नए आवेदन/ नए सुविधा केंद्र, डीएलसी हेतु

3 वर्षों के लिए

10,000 + 1500 (सेवा कर)

2

मौजूदा सुविधा केंद्र, डीएलसी हेतु

वैधता की समयसीमा समाप्ति 1 वर्ष में

2,000 + 300 (सेवा कर)

वैधता की समयसीमा समाप्ति 2 वर्षों में

3,000 + 450 (सेवा कर)

वैधता की समयसीमा समाप्ति 3 वर्षों में

4,000 + 600 (सेवा कर)

3

सुविधा केंद्र वैधता का नवीनीकरण: डीएलसी हेतु

नवीनीकरण

(3 वर्षों के लिए)  

5,000 + 750 (सेवा कर)

4

संस्थान की संरचना में परिवर्तन (नाम/परिसर/प्रबंधन)

हर बार,

प्रत्येक परिवर्तन हेतु

2,000 + 300 (सेवा कर)

 

# - प्रत्यायित वर्ग के संस्थानों (संस्थान, जो पूर्व से ही `ओ`, `ए`, `बी` एवं `सी` स्तरों के पाठ्यक्रमों हेतु प्रत्यायित हैं) हेतु शुल्क डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम सुविधा केन्द्र के लिए प्रोसेसिंग शुल्क का आधा हो जाएगा । हालांकि, संस्थान की संरचना में परिवर्तन हेतु शुल्क उपोरक्त अनुसार ही लागू होगा ।  

 

 

* - 15% सेवा कर शुल्क में समावेशित है ।

) प्रत्यायन के उपरान्त ध्यान रखने योग्य बातें

  • प्रत्यायन केवल नाइलिट कम्प्यूटर पाठ्यक्रमों के लिए है, पूरा संस्थान प्रत्यायित नहीं है। यह केवल निर्दिष्ट स्थान पर ही पाठ्यक्रम के मामले में प्रयोज्य है। 
  • किसी संस्थान के नाम दिया गया प्रत्यायन उसकी शाखाओं/केन्द्रों/मुख्यालय/फ्रैंचाइजी/लाइसेंसी आदि पर स्वतः प्रयोज्य नहीं है। प्रत्येक केन्द्र को प्रत्येक स्तर के लिए स्वतंत्र रूप से प्रत्यायन प्राप्त करना होगा।
  • ओ/ए/सी स्तरों के लिए तीन वर्षों की अवधि के लिए और बी स्तर के लिए पाँच वर्षों की अवधि के लिए अनन्तिम प्रत्यायन प्रदान किया जाता है। 
  • प्रत्यायन एक निरन्तर प्रक्रिया है और नए संस्थानों को समय-समय पर प्रत्यायित किया जाता है। किसी विद्यमान संस्थान को प्रदान किया गया प्रत्यायन उसके द्वारा मानदण्डों का अनुपालन नहीं करने अथवा प्रत्यायन के लिए निर्दिष्ट कारणों से  वापस लिया जा सकता है।    
  • पर्यवेक्षकों, जो इस क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, से अनुरोध किया जाता है कि जब किसी संस्थान के कार्यकलापों के बारे में शिकायतों की जाँच-पड़ताल करनी आवश्यक हो या उनके वार्षिक प्रतिवेदन में पाई गई कमियों की जाँच आवश्यक हो तब वे संबंधित संस्थानों का निरीक्षण करें तथा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
  • किसी संस्थान के कार्यनिष्पादन की समीक्षा संस्थान द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदनों, संस्थान के कार्यों के बारे में पर्यवेक्षक की रिपोर्ट तथा संस्थान से नाइलिट की परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों के कार्यनिष्पादन से की जाती है। इसमे ऐसी परीक्षाओं के लिए संस्थान द्वारा भेजे गए विद्यार्थियो की संख्या भी शामिल है। 
  • संस्थानों को अर्हता प्राप्त शिक्षकों तथा विद्यमान मूलसंरचना के अनुसार कई पाठ्यक्रम/बैच चलाने की अनुमति दी जाती है। इसके आधार पर, संस्थान द्वारा प्रत्येक स्तर के लिए प्रशिक्षित किए जा सकने वाले विद्यार्थियों की अधिकतम संख्या निर्धारित की जाती है। 
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