एनसीपीयूएल के बारे में
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राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) मानव संसाधन विकास विभाग (एचआरडी), उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार के अन्तर्गत एक स्वायत्त निकाय है जिसकी स्थापना उर्दू भाषा का संवर्धन करने तथा प्रसार करने के लिए की गई है। परिषद ने अपना कार्य 1 अप्रैल 1966 से दिल्ली में शुरू किया। उर्दू भाषा के संवर्धन की राष्ट्रीय नोडल एजेंसी की हैसियत से, एनसीपीयूएल उर्दू भाषा तथा उर्दू शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रधान समन्वय एवं निगरानी प्राधिकारी है। |
राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) मानव संसाधन विकास विभाग (एचआरडी), उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार के अन्तर्गत एक स्वायत्त निकाय है जिसकी स्थापना उर्दू भाषा का संवर्धन करने तथा प्रसार करने के लिए की गई है। परिषद ने अपना कार्य 1 अप्रैल 1966 से दिल्ली में शुरू किया। उर्दू भाषा के संवर्धन की राष्ट्रीय नोडल एजेंसी की हैसियत से, एनसीपीयूएल उर्दू भाषा तथा उर्दू शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रधान समन्वय एवं निगरानी प्राधिकारी है। |
परिषद का एक महत्वपूर्ण प्रयास उर्दू बोलने वाली जनसंख्या को प्रौद्योगिकी तथा कम्प्यूटर के युग में रोजगार योग्य प्रौद्योगिकीय कार्मिकों के एक भाग में परिवर्तित करना है। सूचना प्रौद्योगिकी को भाषा में अन्तरित करने तथा उर्दू बोलने वाले लड़कों तथा लड़कियों को भारत के रोजगार योग्य प्रौद्योगिकी कार्मिकों का एक हिस्सा बनाने के लिए एनसीपीयूएल ने पूरे देश में कम्प्यूटर अनुप्रयोग, व्यवसाय लेखांकन एवं बहुभाषी डीटीपी केन्द्र (सीएबीए-एमडीटीपी) स्थापित करता है। सीएबीए-एमडीटीपी कार्यक्रम का निष्पादन राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, चण्डीगढ़ द्वारा वर्ष 2003 से किया जा रहा है और हाल ही में दोनों संगठनों ने 26 सितम्बर 2012 को पाँच वर्षों के लिए वैध एक सहमति-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। |
परिषद का एक महत्वपूर्ण प्रयास उर्दू बोलने वाली जनसंख्या को प्रौद्योगिकी तथा कम्प्यूटर के युग में रोजगार योग्य प्रौद्योगिकीय कार्मिकों के एक भाग में परिवर्तित करना है। उर्दू बोलने वाले लड़कों तथा लड़कियों को भारत के रोजगार योग्य प्रौद्योगिकी कार्मिकों का एक हिस्सा बनाने के लिए एनसीपीयूएल ने पूरे देश में कम्प्यूटर अनुप्रयोग, व्यवसाय लेखांकन एवं बहुभाषी डीटीपी केन्द्र (सीएबीए-एमडीटीपी) स्थापित करता है। सीएबीए-एमडीटीपी कार्यक्रम का निष्पादन राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, चण्डीगढ़ द्वारा वर्ष 2004 से किया जा रहा है और दोनों संगठनों ने 26 सितम्बर 2012 को पाँच वर्षों के लिए वैध एक सहमति-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
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एनसीपीयूएल और नाइलिट, चण्डीगढ़ के बीच हस्ताक्षरित सहमति-ज्ञापन में एनसीपीयूएल के सीएबीए-एमडीटीपी केन्द्रों में इलेक्ट्रॉनिकी हार्डवेयर में कुशलता उन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रावधान है जिससे समाज के वंचित वर्ग के समग्र विकास के लिए रोजगार योग्यता में आगे अभिवृद्धि हो सके। एनसीपीयूएल और नाइलिट, चण्जीगढ़ के बीच हस्ताक्षरित सहमति-ज्ञापन की एक प्रतिलिपि अनुबंध III पर संलग्न है।
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एनसीपीयूएल और नाइलिट, चण्डीगढ़ के बीच हस्ताक्षरित सहमति-ज्ञापन में एनसीपीयूएल के सीएबीए-एमडीटीपी केन्द्रों में इलेक्ट्रॉनिकी हार्डवेयर में कुशलता उन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रावधान है जिससे समाज के वंचित वर्ग के समग्र विकास के लिए रोजगार योग्यता में आगे अभिवृद्धि हो सके। वर्ष 2004 में “इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत तथा अनुरक्षण में डिप्लोमा (ड्रीम)” पर एक वर्षीय पाठ्यक्रम दिल्ली, जम्मू तथा कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड के 5 राज्यों में स्थित एनसीपीयूएल के 50 केन्द्रों में शुरू किया गया। अब तक, इस योजना के अन्तर्गत 5428 विद्यार्थियों को पंजीकृत किया गया है तथा सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूरा करने पर 1180 विद्यार्थियों को डिप्लोमा प्रदान किए गए। |
उर्दू बोलने वालों को उपयोगी मानव संसाधन बनाने तथा उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते परिदृश्य में रोजगार योग्य प्रौद्योगिकी कार्मिकों का एक हिस्सा बनाने और मूलभूत स्तर तक कम्प्यूटर शिक्षण का प्रसार करने के उद्देश्य से, “कम्प्यूटर अनुप्रयोग, व्यवसाय लेखांकन एवं बहुभाषी डीटीपी (सीएबीए-एमडीटीपी)” में एक वर्षीय डिप्लोमा तैयार किया गया है। डीओईएसीसी ‘ओ’ स्तर पाठ्यक्रम को आधारभूत स्तर मानते हुए, इसकी विषय सामग्रियों को प्रोग्रामिंग तकनीकों, डेटाबेस तथा अनुप्रयोगों के विकास, लेखांकन पैकेज, वेब डिजाइनिंग टूल, उर्दू तथा हिन्दी डीटीपी से समृद्ध किया गया है। इस समय, लगभग 425 सीएबीए-एमडीटीपी केन्द्र 26 राज्यों तथा 1 संघ शासित प्रदेश के 194 जिलों मे चल रहे हैं जिनमें 7786 छात्राओं सहित 21945 विद्यार्थी सूचना प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। अब तक लगभग 1,03,107 विद्यार्थियों को कम्प्यूटर अनुप्रयोग, व्यवसाय लेखांकन एवं बहुभाषी डीटीपी (सीएबीए-एमडीटीपी) में डिप्लोमा प्रदान किए गए हैं और उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लगभग 50% विद्यार्थी विभिन्न सार्वजनिक तथा निजी संगठनों में नियोजित हो गए हैं। यह पाठ्यक्रम न केवल उर्दू बोलने वाले व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है बल्कि देश में कम्प्यूटर साक्षरता में भी वृद्धि करता है। |
उर्दू बोलने वालों को उपयोगी मानव संसाधन बनाने तथा उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी के उभरते परिदृश्य में रोजगार योग्य प्रौद्योगिकी कार्मिकों का एक हिस्सा बनाने और मूलभूत स्तर तक कम्प्यूटर शिक्षण का प्रसार करने के उद्देश्य से, “कम्प्यूटर अनुप्रयोग, व्यवसाय लेखांकन एवं बहुभाषी डीटीपी (सीएबीए-एमडीटीपी)” में एक वर्षीय डिप्लोमा तैयार किया गया है। पाठ्यक्रम की विषय सामग्रियों को प्रोग्रामिंग तकनीकों, डेटाबेस तथा अनुप्रयोगों के विकास की कुशलता, लेखांकन पैकेज, वेब डिजाइनिंग टूल तथा बहुभाषी डीटीपी से समृद्ध किया गया है। पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार किया गया है कि पाठ्यक्रम को पूरा करने के पश्चात संबंधित व्यक्ति के लिए व्यापक रेंज की आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे। इस समय, लगभग 450 सीएबीए-एमडीटीपी केन्द्र 26 राज्यों के 194 जिलों मे चल रहे हैं। इन केन्द्रों में प्रत्येक वर्ष लगभग 25,000 विद्यार्थियों को सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण के लिए दाखिला दिया जाता है। अब तक लगभग 1,35,525 विद्यार्थियों को इस योजना के अन्तर्गत डिप्लोमा प्रदान किए गए हैं। यह पाठ्यक्रम न केवल उर्दू बोलने वाले व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है बल्कि देश में कम्प्यूटर साक्षरता में भी वृद्धि करता है। |
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“इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत तथा अनुरक्षण में डिप्लोमा (ड्रीम)” पर एक वर्षीय पाठ्यक्रम का उद्देश्य अधिकारहीन सामाजिक क्षेत्र के आधारभूत स्तर पर योग्य एवं कुशल तकनीकी जनशक्ति उद्योग क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार करना है जिससे वे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत एवं अनुरक्षण, डीटीएच प्रणालियों के प्रतिष्ठापन, सौर पैनल के प्रतिष्ठापन, एलईडी आधारित प्रकाश उत्पादों के संयोजन एवं अनुरक्षण का ज्ञान हासिल कर सकें। इससे अन्ततः इलेक्ट्रॉनिकी हार्डवेयर के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही रोजगार योग्यता में राष्ट्र के मुख्य आधार अर्थात ग्रामीण क्षेत्रों की संभावनाओं में बढ़ोतरी होगी। इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के उपरान्त संबंधित व्यक्तियों के लिए आजीविका के लिए कई विकल्प संभव होंगे। इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम को भारतीय इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र कुशलता परिषद (ईएसएससीआई) की सिफारिशों पर तैयार किया गया है और पाठ्य विषयों को ईएसएससीआई द्वारा प्रतिपादित अर्हता पैक (क्यूपी)/राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एनओएस) के साथ मिलाया गया है। |