साइबर सुरक्षा जागरूकता परियोजना

इंटरनेट के माध्यम से सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) ने आज विश्व में एक क्रांति ला दी है और संचार तथा सूचना के आदान-प्रदान के सम्पूर्ण प्रतिमान में परिवर्तन ला रही हैं। घरेलू प्रयोक्ता, विद्यार्थी तथा स्कूली बच्चे इंटरनेट का प्रयोग अपने ज्ञान के क्षेत्र का विस्तार करने, अपना परिचय तैयार करने तथा समाज का एक हिस्सा बनने के लिए कर रहे हैं। लेकिन व्यक्तिगत सूचना की गोपनीयता की किसी प्रकार की क्षति के बिना सुरक्षित रूप में रखने, सूचना की गोपनीयता को बनाए रखने तथा कम्प्यूटिंग परिवेश में विश्वास पैदा करने के लिए यह जानना जरूरी है कि आईसाटी द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी विशेषताओं का प्रयोग किस प्रकार किया जाए। 

साइबर आक्रमण तथा साइबर अपराध की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है जिसके फलस्वरूप प्रयोक्ताओं, विशेष रूप से बच्चों, की व्यक्तिगत सूचना के अभिगम के खतरे पैदा हो जाते हैं जिनके कारण दुरुपयोग, साइबर के जरिए डराना-धमकाना, यौन शोषण आदि किए जाते हैं। इसलिए, प्रयोक्ताओं को साइबर अपराध या साइबर आक्रमणों के खतरों/प्रभावों को समझाना एक सुरक्षित सूचना समाज तैयार करने का पहला कदम है।

कई विद्यालयों ने अपने पाठ्य विषयों में कम्प्यूटर पाठ्यक्रम तथा इंटरनेट लागू किए हैं जिससे विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षण प्रदान करने तथा ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करने में सहायता मिल सके। लेकिन स्कूली बच्चों को इंटरनेट के असुरक्षित प्रयोग से संबद्ध साइबर खतरों की कोई जानकारी नहीं होती है। चूँकि बच्चे ही साइबर अपराधों के अधिक शिकार होते हैं, इसलिए उन्हें आरम्भिक अवस्था में ही जागरूकता प्रदान करना आवश्यक है। अतः उनके पाठ्य विषयों में साइबर सुरक्षा तथा साइबर आचार-नीति पर विशष/प्रसंग शामिल करना महत्वपूर्ण है।

साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व को देखते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इसे एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में चुना है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत एक मुख्य कार्यकलाप विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के विद्यार्थियों में सूचना सुरक्षा से संबंधित जागरूकता का सृजन व्यापक रूप से करना होगा।

इस परियोजना का उद्देश्य विशेष रूप से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में साइबर सुरक्षा जागरूकता से संबंधित अन्तराल को पूरा करना है।

संबंधित प्रतिभागी राज्यों की स्थानीय भाषाओं में साइबर सुरक्षा जागरूकता पर मानक मॉड्यूलों तथा सामग्रियों का विकास करने का प्रस्ताव है जिससे नागालैण्ड, मिज़ोरम तथा त्रिपुरा के पूर्वोत्तर राज्यों में नाइलिट के माध्यम से विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के विद्यार्थियों तथा सरकारी विभागों में उपयुक्त तंत्रों के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया जा सके।

तदनुसार, इस परियोजना का व्यापक उद्देश्य साइबर सुरक्षा की पहलुओं पर जन जागरूकता आरम्भ करना है।

परियोजना की अवधि :

18 महीने (परियोजना का निष्पादन दो चरणों में किया जाएगा। पहला चरण 1 वर्ष का होगा और दूसरा चरण 6 महीने का होगा)।

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